Shodashi Secrets

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ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं सौः: ॐ ह्रीं श्रीं क ए ऐ ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं स क ल ह्रीं सौः: ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं 

साहित्याम्भोजभृङ्गी कविकुलविनुता सात्त्विकीं वाग्विभूतिं

सानन्दं ध्यानयोगाद्विसगुणसद्दशी दृश्यते चित्तमध्ये ।

The essence of those rituals lies inside the purity of intention and the depth of devotion. It's not simply the external steps but The interior surrender and prayer that invoke the divine existence of Tripura Sundari.

ह्रीं ह स क ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं स क ल ह्रीं

लक्ष्मीशादि-पदैर्युतेन महता मञ्चेन संशोभितं

षोडशी महात्रिपुर सुन्दरी का जो स्वरूप है, वह अत्यन्त ही गूढ़मय है। जिस महामुद्रा में भगवान शिव की नाभि से निकले कमल दल पर विराजमान हैं, वे मुद्राएं उनकी कलाओं को प्रदर्शित करती हैं और जिससे उनके कार्यों की और उनकी अपने भक्तों के प्रति जो भावना है, उसका सूक्ष्म विवेचन स्पष्ट होता है।

Shodashi Goddess is without doubt one of the dasa Mahavidyas – the ten goddesses of knowledge. Her name means that she is definitely the goddess who is always sixteen a long time old. Origin of Goddess Shodashi transpires following Shiva burning Kamdev into ashes for disturbing his meditation.

दुष्टानां दानवानां मदभरहरणा दुःखहन्त्री बुधानां

मुख्याभिश्चल-कुन्तलाभिरुषितं मन्वस्र-चक्रे शुभे ।

हंसोऽहंमन्त्रराज्ञी हरिहयवरदा हादिमन्त्रार्थरूपा ।

The reverence for Tripura Sundari transcends mere read more adoration, embodying the collective aspirations for spiritual development as well as attainment of worldly pleasures and comforts.

देवीं कुलकलोल्लोलप्रोल्लसन्तीं शिवां पराम् ॥१०॥

पञ्चब्रह्ममयीं वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥५॥

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